आजकल मुझे यह देख कर अत्यंत खेद और आश्चर्य होता है की अंडा शाकाहार का पर्याय बन चुका है ,ब्राह्मणों से लेकर जैनियों तक सभी ने खुल्लमखुल्ला अंडा खाना शुरू कर दिया है ...खैर मै ज्यादा भूमिका और प्रकथन में न जाता हुआ सीधे तथ्य पर आ रहा हूँ
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मित्रो जिस प्रकार लड़कियों मे 10 से 15 साल की आयु मे उनके अंडाशय मे हर महीने एक विकसित डिम्ब (अण्डा) उत्पन्न करना शुरू कर हो जाता है । वह अण्डा अण्डवाहिका नली (फैलोपियन ट्यूव) के द्वारा नीचे जाता है जो कि अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है, उसका अस्तर रक्त और तरल पदार्थ से गाढ़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि यदि अण्डा उर्वरित हो जाए, तो वह बढ़ सके और शिशु के जन्म के लिए उसके स्तर में विकसित हो सके। यदि उस डिम्ब का पुरूष के वीर्य के शुक्राणु से सम्मिलन न हो तो वह स्राव बन जाता है जो कि योनि से निष्कासित हो जाता है। इसी स्राव को मासिक धर्म, रजोधर्म या माहवारी (Menstural Cycle or MC) कहते हैं।
लड़कियों की तरह ही अन्य मादा स्तनपाईयों (बन्दर बिल्ली गाय ) में भी एक निश्चित समय के बाद अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है उदारहरणतः मनुष्यों में यह महीने में एक बार,.. चार दिन तक होता है जिसे माहवारी या मासिक धर्म कहते है (जैसा ऊपर बताया गया )
..उन दिनों में स्त्रियों को पूजा पाठ चूल्हा रसोईघर आदि से दूर रखा जाता है ..यहाँ तक की स्नान से पहले किसी को छूना भी वर्जित है कई परिवारों में ...शास्त्रों में भी इन नियमों का वर्णन है
इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करना चाहूँगा ..मासिक स्राव के दौरान स्त्रियों में मादा हार्मोन (estrogen) की अत्यधिक मात्रा उत्सर्जित होती है और सारे शारीर से यह निकलता रहता है ..
इसकी पुष्टि के लिए एक छोटा सा प्रयोग करिये ..एक गमले में फूल या कोई भी पौधा है तो उस पर रजस्वला स्त्री से दो चार दिन तक पानी से सिंचाई कराइये ..वह पौधा सूख जाएगा ,
अब आते है मुर्गी के अण्डे की ओर
1) पक्षियों (मुर्गियों) में भी लड़कियो की तरह अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है ,
2) सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर है और बहुत ही हानिकारक है
3) ज्यादा पैसे कमाने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे के मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती है
4) इन भ्रूणों (अन्डो) को खाने से पुरुषों में स्त्रियों के हार्मोन (estrogen) के बढ़ने के कारण कई रोग उत्पन्न हो रहे है जैसे के वीर्य में शुक्राणुओ की कमी (oligozoospermia, azoospermia) , नपुंसकता और स्तनों का उगना (gynacomastia), हार्मोन असंतुलन के कारण डिप्रेशन आदि ...
वहीँ स्त्रियों में अनियमित मासिक, बन्ध्यत्व , (PCO poly cystic oveary) गर्भाशय कैंसर आदि रोग हो रहे है
5) अन्डो में पोषक पदार्थो के लाभ से ज्यादा इन रोगों से हांनी का पलड़ा ही भारी है .
6) अन्डो के अंदर का पीला भाग लगभग ७० % कोलेस्ट्रोल है जो की ह्रदय रोग (heart attack) का मुख्य कारण है
7) पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के विरुद्ध , अप्राकृतिक , और अपवित्र और चंडाल कर्म है
इसकी जगह पर आप दूध पीजिए जो के पोषक , पवित्र और शास्त्र सम्मत भी है !
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दरअसल एलोपेथी डॉक्टर बहुत कहते है के अन्डे खाना बहुत आवश्यक है और उनका हिसाब किताब प्रोटीन वाला है !
वो कहते है प्रोटीन इसमें ज्यादा है विटामिन A ज्यादा है । लेकिन वो ऐसा क्यों कहते है ??
क्यों की उन्होने अपनी किताबों मे पढ़ा है
लेकिन क्यों पढ़ा है ??
दरअसल हमारे डॉक्टर जो पढाई करते है जैसे MBBS , MS, MD ये पूरी पढाई बाहर से आई है अर्थात यूरोप से आयी है और यूरोप के देशों मे साल के 8 महीने तो बर्फ होती है खाने-पीने की प्रकर्तिक चीजें उनके पास ज्यादा है नहीं (और जो है वो सब हमारे यहाँ से जाती है जैसे फल ,सब्जियाँ आयुर्वेदिक ओषधियाँ आदि
अब वहाँ जो लोग होंगे जब कभी एलोपेथी चिकित्सा की किताबें लिखी गई होंगी उनके पास मांस और अन्डे के इलावा और कुछ नही होगा । तो उनकी जो पुस्तके है उनमे वो ही लिखा जायेगा जो वहाँ उपलब्ध है । और यूरोप में पूरा इलाका बहुत ठंडा है !सब्जी होती नही , दाल होती नही हैं ! पर अंडा बहुत मिलता है कियोंकि मुर्गियां बहुत है ।
अब हमारे देश में भी वो ही चिकित्सा पढ़ा रहे है क्यूंकि आजादी के 67 साल बाद भी कोई कानून बदला नहीं गया ! पर उस चिकित्सा को हमने हमारे देश की जरुरत के हिसाब से बदल नही किया
अर्थात उन पुस्तकों में बदवाल होना चाहिए , उसमे लिखा होना चाहिए भारत में अन्डे की जरुरत नही है कियोंकि भारत में अन्डे का विकल्प बहुत कुछ है । पर ये बदवाल हुआ नही और हमारे डॉक्टर वो पुस्तक पढ़ कर निकलते है और बोलते रहते है अन्डे खाओ मांस खाओ । आयुर्वेद की पढाई पढ़ कर जो डॉक्टर निकलते है वो कभी नही कहते के अन्डे खाओ । अन्डे में प्रोटीन है पर सबसे ज्यादा प्रोटीन तो उड़द की दाल में है , फिर चने की डाल , मसूर की डाल ; अन्डे में विटामिन A हैं पर उससे ज्यादा दूध में है ।
इस लिए मित्रो आपसे निवेदन है शाकाहारी बने !
और अधिक जानकारी के लिए link पर click करें
https://goo.gl/kDdfYy
वन्देमातरम
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Saturday, April 23, 2016
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Sunday, April 17, 2016
Saturday, April 2, 2016
घर पर इन पौधों को उगाने से स्वस्थ रहते हैं आप
कहीं लोग पूजा करने के लिए तुलसी का पौधा लगाते हैं तो कहीं कई रोगों से बचने के लिए इसे लगाया जाता है। तुलसी की ही तरह ऐसे कई पौधे हैं जो आपको सेहतमंद रखने में मदद करते हैं। आईए जानें इन सेहतमंद पौधों के बारे में।
QUICK BITES
- यह पौधे बहुत ज्यादा जगह भी नहीं घेरते।
- तुलसी तनाव को दूर करने में काफी मदद करती है।
- डायबिटीज में करी पत्ता होता है लाभकारी।
- पुदीना पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
खूबसूरती और उपयोगिता दोनों साथ-साथ मिलें तो, कहना ही क्या। आप चाहें तो अपने घर को खूबसूरत बनाने के लिए कुछ ऐसे सेहतमंद पौधों को अपने घर में लगा सकते हैं। इन पौधों से आपको खूबसूरती के साथ मिलेगा सेहत का खजाना।
हमारे जीवन पेड़ पौधों का काफी महत्व है। इसलिए लोग अपने घर में एक छोटा हिस्सा बागीचे के लिए रखते हैं। आजकल घरों में तरह तरह के फूलों व सब्जियों के पौधे लगाने का चलन है।इससे ना सिर्फ आपके घर की सुंदरता बढ़ती है ब्लकि आप सेहतमंद व निरोग भी रहते हैं।
आप अपने घर में आसानी से कई तरह के सेहतमंद पौधे भी उगा सकते हैं। जैसे तुलसी का पेड़ लगभग हर घर में पाया जाता है। कहीं लोग पूजा करने के लिए तुलसी का पौधा लगाते हैं तो कहीं कई रोगों से बचने के लिए इसे लगाया जाता है। तुलसी की ही तरह ऐसे कई पौधे हैं जो आपको सेहतमंद रखने में मदद करते हैं। आईए जानें इन सेहतमंद पौधों के बारे में।
खूबसूरती और उपयोगिता दोनों साथ-साथ मिलें तो, कहना ही क्या। आप चाहें तो अपने घर को खूबसूरत बनाने के लिए कुछ ऐसे सेहतमंद पौधों को अपने घर में लगा सकते हैं। इन पौधों से आपको खूबसूरती के साथ मिलेगा सेहत का खजाना।
हमारे जीवन पेड़ पौधों का काफी महत्व है। इसलिए लोग अपने घर में एक छोटा हिस्सा बागीचे के लिए रखते हैं। आजकल घरों में तरह तरह के फूलों व सब्जियों के पौधे लगाने का चलन है।इससे ना सिर्फ आपके घर की सुंदरता बढ़ती है ब्लकि आप सेहतमंद व निरोग भी रहते हैं।
आप अपने घर में आसानी से कई तरह के सेहतमंद पौधे भी उगा सकते हैं। जैसे तुलसी का पेड़ लगभग हर घर में पाया जाता है। कहीं लोग पूजा करने के लिए तुलसी का पौधा लगाते हैं तो कहीं कई रोगों से बचने के लिए इसे लगाया जाता है। तुलसी की ही तरह ऐसे कई पौधे हैं जो आपको सेहतमंद रखने में मदद करते हैं। आईए जानें इन सेहतमंद पौधों के बारे में।
तुलसी
तुलसी एक ऐसा पौधा है जो ज्यादातर घर के आंगन में पाया जाता है। इसको लगाने से आस पास का वातावरण कीटाणु रहित हो जाता है। इसके अलावा तुलसी वाली चाय पीने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है। इसका तेज एस्ट्रोन वाला स्वाद ताजगी भरी खुशबू आप को तनाव से उबारने में मदद करती है।
तुलसी एक ऐसा पौधा है जो ज्यादातर घर के आंगन में पाया जाता है। इसको लगाने से आस पास का वातावरण कीटाणु रहित हो जाता है। इसके अलावा तुलसी वाली चाय पीने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है। इसका तेज एस्ट्रोन वाला स्वाद ताजगी भरी खुशबू आप को तनाव से उबारने में मदद करती है।
पुदीना
घर में पुदीना लगाना काफी फायदेमंद है। पुदीना हाई और लो दोनों ही प्रकार के ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है। इस कार्य के लिए पुदीने की चटनी और रस का उपयोग किया जा सकता है। गर्मी में अक्सर लू लगने की समस्या हो जाती है ऐसे में पुदीने की चटनी नियमित सेवन करने से इसकी आशंका कम हो जाती है।
धनिया
सब्जी का स्वाद व खूशबू बढ़ाने के लिए हरी धनिया का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आप अपने घर में भी उगा सकते हैं। हरी धनिया थकान मिटाने में सहायक है। विटामिन ए से भरपूर धनिया मधुमेह में भी फायदेमंद है इसके सेवन से रक्त में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। इसके साथ ही यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाने में भी मदद करता है।
घर में पुदीना लगाना काफी फायदेमंद है। पुदीना हाई और लो दोनों ही प्रकार के ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है। इस कार्य के लिए पुदीने की चटनी और रस का उपयोग किया जा सकता है। गर्मी में अक्सर लू लगने की समस्या हो जाती है ऐसे में पुदीने की चटनी नियमित सेवन करने से इसकी आशंका कम हो जाती है।
धनिया
सब्जी का स्वाद व खूशबू बढ़ाने के लिए हरी धनिया का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आप अपने घर में भी उगा सकते हैं। हरी धनिया थकान मिटाने में सहायक है। विटामिन ए से भरपूर धनिया मधुमेह में भी फायदेमंद है इसके सेवन से रक्त में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। इसके साथ ही यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाने में भी मदद करता है।
करी पत्ता
करी पत्ते का ज्यादातर प्रयोग साउथ इंडियन खाने में होता है। इसके प्रयोग से खाने का स्वाद बढ़ जाता है। दाल में तड़का लगाने के लिए या सांभर बनाने में करी पत्ते का खूब प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। डायबिटीज के रोगियों को करी पत्ता जरूर खाना चाहिए।
करी पत्ते का ज्यादातर प्रयोग साउथ इंडियन खाने में होता है। इसके प्रयोग से खाने का स्वाद बढ़ जाता है। दाल में तड़का लगाने के लिए या सांभर बनाने में करी पत्ते का खूब प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा यह डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। डायबिटीज के रोगियों को करी पत्ता जरूर खाना चाहिए।
लहसुन
लहसुन अपने आप में गुणों की खान है। भोजन में लहसुन का सेवन करने से आप कई रोगों से दूर रह सकते हैं। एक किस्म का ब्लड प्यूरीफायर है, जो रक्त को साफ करने का काम करता है। लहसुन कैंसर की आशंका को कम करने में भी सहायक हो सकता है। इसके अलावा हाथ पैरों और जोड़ों के दर्द के लिए भी लहसुन बहुत फायदेमंद है।
हरियाली आपके घर का माहौल भी खुशनुमा बनाने में मदद करती है। इसके साथ ही अगर सेहत का खजाना भी मिल जाए, तो कहना ही क्या। आप इन सेहतमंद पौधों को अपने घर पर उगा सकते हैं इससे आपको कई लाभ मिलेंगे।
लहसुन अपने आप में गुणों की खान है। भोजन में लहसुन का सेवन करने से आप कई रोगों से दूर रह सकते हैं। एक किस्म का ब्लड प्यूरीफायर है, जो रक्त को साफ करने का काम करता है। लहसुन कैंसर की आशंका को कम करने में भी सहायक हो सकता है। इसके अलावा हाथ पैरों और जोड़ों के दर्द के लिए भी लहसुन बहुत फायदेमंद है।
हरियाली आपके घर का माहौल भी खुशनुमा बनाने में मदद करती है। इसके साथ ही अगर सेहत का खजाना भी मिल जाए, तो कहना ही क्या। आप इन सेहतमंद पौधों को अपने घर पर उगा सकते हैं इससे आपको कई लाभ मिलेंगे।
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